JEEWAN SANGEET

Wednesday, June 16, 2010

WANHI MERI DUNIYA

जन्हा हूँ, रमा हूँ, वंही मेरी दुनिया
भले लोग मिल गये, भली मेरी दुनिया .

मुहब्बत का पैगाम है बस सुहाना
अच्छा न जिल्लत में जीवन बिताना .
मुहब्बत की प्यासी मिली सारी दुनिया
नहीं सबको मिलती मुहब्बत की दुनिया . .
जन्हा हूँ, रमा हूँ वंही मेरी दुनिया ..१ ..

नहीं कोई काँटों से दिल है लगता
सदा फुल पर ही है आँखे टिकता
किसे सुख न देता बहारों की दुनिया
सदा जगमगाती सितारों की दुनिया
जन्हा हूँ, रमा हूँ वंही मेरी दुनिया ..२..

सभी चाहते की मिले सुख-शांति
मिटे जिंदगी से विविध दुःख भ्रान्ति
अमन से सलोनी हमारी हो दुनिया
जन्हा भी नज़र जाये हो अपनी दुनिया
जन्हा हूँ, रमा हूँ वंही मेरी दुनिया ..३..

1 comment: