जन्हा हूँ, रमा हूँ, वंही मेरी दुनिया
भले लोग मिल गये, भली मेरी दुनिया .
मुहब्बत का पैगाम है बस सुहाना
अच्छा न जिल्लत में जीवन बिताना .
मुहब्बत की प्यासी मिली सारी दुनिया
नहीं सबको मिलती मुहब्बत की दुनिया . .
जन्हा हूँ, रमा हूँ वंही मेरी दुनिया ..१ ..
नहीं कोई काँटों से दिल है लगता
सदा फुल पर ही है आँखे टिकता
किसे सुख न देता बहारों की दुनिया
सदा जगमगाती सितारों की दुनिया
जन्हा हूँ, रमा हूँ वंही मेरी दुनिया ..२..
सभी चाहते की मिले सुख-शांति
मिटे जिंदगी से विविध दुःख भ्रान्ति
अमन से सलोनी हमारी हो दुनिया
जन्हा भी नज़र जाये हो अपनी दुनिया
जन्हा हूँ, रमा हूँ वंही मेरी दुनिया ..३..
bahut sundar
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