JEEWAN SANGEET

Wednesday, June 16, 2010

JANHA MAN KO ROOCHTA HAI

हम जाते हैं वंहा, जंहा मन को रुचता है .
दिल होता अनमोल, नहीं धन से मिलता है .
दिलवाले के साथ किसी का दिल मिलता है .
दिल से दिल मिल जाते ही बंधन जुड़ता है .
कोई रजा रहे, रहे वह अपने घर का
कोई ज्ञानी रहे, रहे वह अपने घर का
अहंकारी निज अहंकार में घुल मरता है .
पाखंडी से दूर दूर ही जग रहता है . .
नहीं पूछता कोई, जाये अपनी राह कंही वह
नहीं किसी की आँखों में बस पाता है वह
हर दिल में प्रीती का इकतारा बजता है
हम जाते हैं वंहा जंहा मन को रुचता है ..

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