तुम प्यार करो, देखो जग को
जग कितना प्यारा लगता है .
यह प्यार की दुनिया प्यारी है
यह सपनों वाली न्यारी है
मस्ती की दुनिया में आओ
देखो यह कैसी प्यारी है .
तुम बंद कोठरी में रहकर
चंदा है दूर, कहा करते .
निकालो चांदी-सी रातों में
फिर देखो चाँद तुम्हारा है .
दिल की बस्ती में सैर करो
तो हर दिलदार तुम्हारा है
झाँकों तुम जरा झरोखे से
देखो क्या मस्त नज़ारा है .
बादल की आँखों से देखो
सारा आकाश तुम्हारा है
बरसो थोडा जग की खातिर
सारा संसार तुम्हारा है .
कुर्बानी कुछ करके देखो
हर व्यक्ति तुम्हारा अपना है .
पर की खातिर जीकर देखो
जीवन क्या सुन्दर सपना है . .
JEEWAN SANGEET
Wednesday, June 16, 2010
SAMAY KEE SUNO PUKAAR
समय की सुनो पुकार, जागो फिर एक बार .
घिर रही घनी घटा
छ रहा है अन्धकार
टूट रहा जीवन तंत्र
हो रहा सतत प्रहार
समय की सुनो पुकार, जागो फिर एक बार .
स्वस्थ है नहीं समाज
भले रो रहे हैं हार .
दुर्जन सर चढ़े हुए
सज्जन को रहे मार .
समय की सुनो पुकार, जागो फिर एक बार .
मुठ्ठी भर गलत लोग
सही को किये लाचार
पाखंडी नेता गन
फैलाते भ्रष्टाचार
समय की सुनो पुकार, जागो फिर एक बार .
देश के जवानों सुनो
आया है नया भार
छिन्न करो मकडजाल
काँटों की यह दिवार .
समय की सुनो पुकार, जागो फिर एक बार .
शक्ति का करो विकाश
जन-जन में क्रांति ज्वार
लोक तंत्र सही बने
राष्ट्रहित करो विचार
समय की सुनो पुकार, जागो फिर एक बार .
घिर रही घनी घटा
छ रहा है अन्धकार
टूट रहा जीवन तंत्र
हो रहा सतत प्रहार
समय की सुनो पुकार, जागो फिर एक बार .
स्वस्थ है नहीं समाज
भले रो रहे हैं हार .
दुर्जन सर चढ़े हुए
सज्जन को रहे मार .
समय की सुनो पुकार, जागो फिर एक बार .
मुठ्ठी भर गलत लोग
सही को किये लाचार
पाखंडी नेता गन
फैलाते भ्रष्टाचार
समय की सुनो पुकार, जागो फिर एक बार .
देश के जवानों सुनो
आया है नया भार
छिन्न करो मकडजाल
काँटों की यह दिवार .
समय की सुनो पुकार, जागो फिर एक बार .
शक्ति का करो विकाश
जन-जन में क्रांति ज्वार
लोक तंत्र सही बने
राष्ट्रहित करो विचार
समय की सुनो पुकार, जागो फिर एक बार .
BAAT BADAL JAATI HAI
समय के साथ सब चीज बदल जाती है
मौसम बदलते ही बात बदल जाती है .
रहता न एक-सा समय है किसी का
सोची हुई यंहा सब बात नहीं होती है .
धुन का जो पक्का वह धुन में रमा होता है
लक्ष्य तक पहुंचा दे जो, राह वही होती है .
बव्ह्पन, जवानी सब जीवन के मोड़ हैं
आगे बढ़ते ही सब पीछे रह जाते है .
किर्तियाँ जो रचते हम अपनी तपस्या से
वे ही हमें दुनिया में अमर कर जाती है .
यश, मान औ प्रतिष्ठा किसको न भाति है
जीवन की रागिनी भली किसे न सुहाती है . .
सूझ-बूझ साहस से अवसर अनुकूल करो
बाधाएं कुहरे-सी निश्चित छंट जाती है .
सपने को सच में बदलने का जोखिम लो
सपनों से जीवन में सुन्दरता आती है .
समय के साथ सब चीज बदल जाती है .
मौसम बदलते ही बात बदल जाती है .
मौसम बदलते ही बात बदल जाती है .
रहता न एक-सा समय है किसी का
सोची हुई यंहा सब बात नहीं होती है .
धुन का जो पक्का वह धुन में रमा होता है
लक्ष्य तक पहुंचा दे जो, राह वही होती है .
बव्ह्पन, जवानी सब जीवन के मोड़ हैं
आगे बढ़ते ही सब पीछे रह जाते है .
किर्तियाँ जो रचते हम अपनी तपस्या से
वे ही हमें दुनिया में अमर कर जाती है .
यश, मान औ प्रतिष्ठा किसको न भाति है
जीवन की रागिनी भली किसे न सुहाती है . .
सूझ-बूझ साहस से अवसर अनुकूल करो
बाधाएं कुहरे-सी निश्चित छंट जाती है .
सपने को सच में बदलने का जोखिम लो
सपनों से जीवन में सुन्दरता आती है .
समय के साथ सब चीज बदल जाती है .
मौसम बदलते ही बात बदल जाती है .
AATMA HOO
आत्मा हूँ, दिब्य ज्योति से भरा हूँ .
निखरता ही नित चमकता जा रहा हूँ .
धुंध सारे छंट गये नूतन-पुराने
शुध्द हो सम्पूर्णता में मैं खड़ा हूँ . .
है अलौकिक दृश्य मेरी जिंदगी का
मैं पिता का प्यार सीधा पा रहा हूँ
बरसती पावन कृपा, फहरा रहा हूँ
आत्मा हूँ, दिव्या ज्योति से भरा हूँ ..
मिल रही शक्ति अलौकिक आज मुझ को
संतति का प्यार सारा पा रहा हूँ.
निडर होकर घूमता हूँ मैं जगत में
जन्हा भी हूँ वंही पर मुसका रहा हूँ . .
रूप सुन्दर ले निराला जी रहा हूँ
नर से होने नारायण जा रहा हूँ .
भूत से अध्यात्म तक एकल अनुभव
त्रिगुनो से मुक्त चेतन हो गया हूँ .
तत्त्व वह जो है उसी का अंश हूँ मैं
महासागर की सुखद एक बूँद हूँ मैं
एक ऊपर शिप सहज परमात्मा है
औ यंहा आलोकमय संतान हूँ मैं . .
निखरता ही नित चमकता जा रहा हूँ .
धुंध सारे छंट गये नूतन-पुराने
शुध्द हो सम्पूर्णता में मैं खड़ा हूँ . .
है अलौकिक दृश्य मेरी जिंदगी का
मैं पिता का प्यार सीधा पा रहा हूँ
बरसती पावन कृपा, फहरा रहा हूँ
आत्मा हूँ, दिव्या ज्योति से भरा हूँ ..
मिल रही शक्ति अलौकिक आज मुझ को
संतति का प्यार सारा पा रहा हूँ.
निडर होकर घूमता हूँ मैं जगत में
जन्हा भी हूँ वंही पर मुसका रहा हूँ . .
रूप सुन्दर ले निराला जी रहा हूँ
नर से होने नारायण जा रहा हूँ .
भूत से अध्यात्म तक एकल अनुभव
त्रिगुनो से मुक्त चेतन हो गया हूँ .
तत्त्व वह जो है उसी का अंश हूँ मैं
महासागर की सुखद एक बूँद हूँ मैं
एक ऊपर शिप सहज परमात्मा है
औ यंहा आलोकमय संतान हूँ मैं . .
JANHA MAN KO ROOCHTA HAI
हम जाते हैं वंहा, जंहा मन को रुचता है .
दिल होता अनमोल, नहीं धन से मिलता है .
दिलवाले के साथ किसी का दिल मिलता है .
दिल से दिल मिल जाते ही बंधन जुड़ता है .
कोई रजा रहे, रहे वह अपने घर का
कोई ज्ञानी रहे, रहे वह अपने घर का
अहंकारी निज अहंकार में घुल मरता है .
पाखंडी से दूर दूर ही जग रहता है . .
नहीं पूछता कोई, जाये अपनी राह कंही वह
नहीं किसी की आँखों में बस पाता है वह
हर दिल में प्रीती का इकतारा बजता है
हम जाते हैं वंहा जंहा मन को रुचता है ..
दिल होता अनमोल, नहीं धन से मिलता है .
दिलवाले के साथ किसी का दिल मिलता है .
दिल से दिल मिल जाते ही बंधन जुड़ता है .
कोई रजा रहे, रहे वह अपने घर का
कोई ज्ञानी रहे, रहे वह अपने घर का
अहंकारी निज अहंकार में घुल मरता है .
पाखंडी से दूर दूर ही जग रहता है . .
नहीं पूछता कोई, जाये अपनी राह कंही वह
नहीं किसी की आँखों में बस पाता है वह
हर दिल में प्रीती का इकतारा बजता है
हम जाते हैं वंहा जंहा मन को रुचता है ..
WANHI MERI DUNIYA
जन्हा हूँ, रमा हूँ, वंही मेरी दुनिया
भले लोग मिल गये, भली मेरी दुनिया .
मुहब्बत का पैगाम है बस सुहाना
अच्छा न जिल्लत में जीवन बिताना .
मुहब्बत की प्यासी मिली सारी दुनिया
नहीं सबको मिलती मुहब्बत की दुनिया . .
जन्हा हूँ, रमा हूँ वंही मेरी दुनिया ..१ ..
नहीं कोई काँटों से दिल है लगता
सदा फुल पर ही है आँखे टिकता
किसे सुख न देता बहारों की दुनिया
सदा जगमगाती सितारों की दुनिया
जन्हा हूँ, रमा हूँ वंही मेरी दुनिया ..२..
सभी चाहते की मिले सुख-शांति
मिटे जिंदगी से विविध दुःख भ्रान्ति
अमन से सलोनी हमारी हो दुनिया
जन्हा भी नज़र जाये हो अपनी दुनिया
जन्हा हूँ, रमा हूँ वंही मेरी दुनिया ..३..
भले लोग मिल गये, भली मेरी दुनिया .
मुहब्बत का पैगाम है बस सुहाना
अच्छा न जिल्लत में जीवन बिताना .
मुहब्बत की प्यासी मिली सारी दुनिया
नहीं सबको मिलती मुहब्बत की दुनिया . .
जन्हा हूँ, रमा हूँ वंही मेरी दुनिया ..१ ..
नहीं कोई काँटों से दिल है लगता
सदा फुल पर ही है आँखे टिकता
किसे सुख न देता बहारों की दुनिया
सदा जगमगाती सितारों की दुनिया
जन्हा हूँ, रमा हूँ वंही मेरी दुनिया ..२..
सभी चाहते की मिले सुख-शांति
मिटे जिंदगी से विविध दुःख भ्रान्ति
अमन से सलोनी हमारी हो दुनिया
जन्हा भी नज़र जाये हो अपनी दुनिया
जन्हा हूँ, रमा हूँ वंही मेरी दुनिया ..३..
Subscribe to:
Posts (Atom)