JEEWAN SANGEET

Thursday, June 17, 2010

मेरा सपना

मेरा सपना पूर्ण कभी तो होगा .

अलग-थलग की बात कभी न होगी
छल-प्रपंच की बातें बुरी न होगी
सब होंगे इंसान न अंतर होगा .
मेरा सपना पूर्ण कभी तो होगा . . १ . .

मंदिर-मस्जिद अलग कभी न होगा
इश्वर हित संघर्ष न मन में होगा
बाहर भीतर भेद न कोई होगा
मेरा सपना पूर्ण कभी तो होगा . . २ . .

होगी एक ही शिक्ष सुन्दर सबकी
एकरूप मानवता होगी सबकी
बात-बात पर झगडा कभी न होगा
मेरा सपना पूर्ण कभी तो होगा . . ३ . .

जब सब उर में प्यार छलक आएगा
स्वार्थों का सब द्वीप डूब जायेगा
जगत कुटुंब रूप एक तब होगा
मेरा सपना पूर्ण कभी तो होगा . .

न एक-सा समय रहा

न एक-सी जगह सभी
न एक-सा समय रहा
न संगी एक-सा मिला
न प्रेम एक-सा रहा . .

न राह एक-सी रही
न चाह एक-सी रही
न भाव एक-सा रहा
न बात एक-सी रही . .

न लक्ष्य को पकड़ सका
न मन एकाग्र कर सका
न राह को बदल सका
न भाव को कुचल सका ..

न बात दिल की कह सका
न बात दिल की सुन सका
न मैं ह्रदय बदल सका . .

न अंह मुक्त हो सका
न कलुष-पाप धो सका
न चैन जन को दे सका . .

न साथ सबके रह सका
न संग - मुक्त हो सका .
न बैठ कर रहा कभी
न राह कोई गढ़ सका . .

न पलट भूत ला सका
न वर्तमान जी सका
न मैं भविष्य के लिए
जिन्दगी सजा सका . .

काम सब करो सही

तुम बात सब करो सही
तुम काम सब करो सही
तुम सत्य पर अड़े रहो
तुम निडर हो खड़े रहो .
तुम अनुभवी अतीत हो
तुम वर्तमान प्रतीत हो
तुम जिंदगी को साध लो
तुम धैर्य से बढे चलो .

तुम दिव्या अंश प्राण हो
तुम आत्मा महान हो
तुम पूज्य, भाग्यवान हो .
तुम चेतना महान हो
तुम इश के अवदान हो
तुम पुण्य पंथ गढ़ चलो
तुम उच्च लक्ष्य पर चलो . .