तुम बात सब करो सही
तुम काम सब करो सही
तुम सत्य पर अड़े रहो
तुम निडर हो खड़े रहो .
तुम अनुभवी अतीत हो
तुम वर्तमान प्रतीत हो
तुम जिंदगी को साध लो
तुम धैर्य से बढे चलो .
तुम दिव्या अंश प्राण हो
तुम आत्मा महान हो
तुम पूज्य, भाग्यवान हो .
तुम चेतना महान हो
तुम इश के अवदान हो
तुम पुण्य पंथ गढ़ चलो
तुम उच्च लक्ष्य पर चलो . .
मनुष्य को उसकी दिव्यता का बोध कराती , उसे महान लक्ष्य कि ओर प्रेरित करने वाली बहुत अच्छी कविता | कविता का आंतरिक प्रवाह बहुत अच्छा लगा |
ReplyDelete"तुम चेतना महान हो
तुम इश के अवदान हो"
इसलिए
"तुम सत्य पर अड़े रहो
तुम निडर हो खड़े रहो ."
सच कहा आपने - नैतिकता का आधार हमारी दिव्यता का बोध होनी चाहिए वरना वह कभी भी डगमगा जाएगी |
मेरी शुभकामनाएं