मेरा सपना पूर्ण कभी तो होगा .
अलग-थलग की बात कभी न होगी
छल-प्रपंच की बातें बुरी न होगी
सब होंगे इंसान न अंतर होगा .
मेरा सपना पूर्ण कभी तो होगा . . १ . .
मंदिर-मस्जिद अलग कभी न होगा
इश्वर हित संघर्ष न मन में होगा
बाहर भीतर भेद न कोई होगा
मेरा सपना पूर्ण कभी तो होगा . . २ . .
होगी एक ही शिक्ष सुन्दर सबकी
एकरूप मानवता होगी सबकी
बात-बात पर झगडा कभी न होगा
मेरा सपना पूर्ण कभी तो होगा . . ३ . .
जब सब उर में प्यार छलक आएगा
स्वार्थों का सब द्वीप डूब जायेगा
जगत कुटुंब रूप एक तब होगा
मेरा सपना पूर्ण कभी तो होगा . .
सुन्दर प्रस्तुति।
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