न एक-सी जगह सभी
न एक-सा समय रहा
न संगी एक-सा मिला
न प्रेम एक-सा रहा . .
न राह एक-सी रही
न चाह एक-सी रही
न भाव एक-सा रहा
न बात एक-सी रही . .
न लक्ष्य को पकड़ सका
न मन एकाग्र कर सका
न राह को बदल सका
न भाव को कुचल सका ..
न बात दिल की कह सका
न बात दिल की सुन सका
न मैं ह्रदय बदल सका . .
न अंह मुक्त हो सका
न कलुष-पाप धो सका
न चैन जन को दे सका . .
न साथ सबके रह सका
न संग - मुक्त हो सका .
न बैठ कर रहा कभी
न राह कोई गढ़ सका . .
न पलट भूत ला सका
न वर्तमान जी सका
न मैं भविष्य के लिए
जिन्दगी सजा सका . .
वाकई में समय कभी एक सा नहीं रहता.... Time never stands still....
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