JEEWAN SANGEET

Wednesday, June 16, 2010

AATMA HOO

आत्मा हूँ, दिब्य ज्योति से भरा हूँ .
निखरता ही नित चमकता जा रहा हूँ .
धुंध सारे छंट गये नूतन-पुराने
शुध्द हो सम्पूर्णता में मैं खड़ा हूँ . .

है अलौकिक दृश्य मेरी जिंदगी का
मैं पिता का प्यार सीधा पा रहा हूँ
बरसती पावन कृपा, फहरा  रहा हूँ
आत्मा हूँ, दिव्या ज्योति से भरा हूँ ..

मिल रही शक्ति अलौकिक आज मुझ को
संतति का प्यार सारा पा रहा हूँ.
निडर होकर घूमता हूँ मैं जगत में
जन्हा भी हूँ वंही पर मुसका रहा हूँ . .

रूप सुन्दर ले निराला जी रहा हूँ
नर से होने नारायण जा रहा हूँ .
भूत से अध्यात्म तक एकल अनुभव
त्रिगुनो से मुक्त चेतन हो गया हूँ .

तत्त्व वह जो है उसी का अंश हूँ मैं
महासागर की सुखद एक बूँद हूँ मैं
एक ऊपर शिप सहज परमात्मा है
औ यंहा आलोकमय संतान हूँ मैं . .

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