समय की सुनो पुकार, जागो फिर एक बार .
घिर रही घनी घटा
छ रहा है अन्धकार
टूट रहा जीवन तंत्र
हो रहा सतत प्रहार
समय की सुनो पुकार, जागो फिर एक बार .
स्वस्थ है नहीं समाज
भले रो रहे हैं हार .
दुर्जन सर चढ़े हुए
सज्जन को रहे मार .
समय की सुनो पुकार, जागो फिर एक बार .
मुठ्ठी भर गलत लोग
सही को किये लाचार
पाखंडी नेता गन
फैलाते भ्रष्टाचार
समय की सुनो पुकार, जागो फिर एक बार .
देश के जवानों सुनो
आया है नया भार
छिन्न करो मकडजाल
काँटों की यह दिवार .
समय की सुनो पुकार, जागो फिर एक बार .
शक्ति का करो विकाश
जन-जन में क्रांति ज्वार
लोक तंत्र सही बने
राष्ट्रहित करो विचार
समय की सुनो पुकार, जागो फिर एक बार .
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