प्यार की नगरी बसाना चाहता हूँ
मैं सही अनमोल जीवन चाहता हूँ।
चाहता मैं सज्जनों के साथ रहना
चाहता हर ओठ पर मुस्कान धरना।
मैं दुखो से त्रान पाना चाहता हूँ।
मैं सही अनमोल जीवन चाहता हूँ। ।
सब सुखी, सानंद हों, यह कामना है
स्नेह की वर्षा सतत, यह भावना है,
मैं तुम्हारे प्यार का वरदान पाना चाहता हूँ।
मैं सही अनमोल जीवन चाहता हूँ। ।
तौलते है लोग पैसे से यंहा हर चीज को
वे फलों से आंकते है बीज को।
लाभ-लोभों की घुटन से मुक्त होना चाहता हूँ।
मैं सही अनमोल जीवन चाहता हूँ।
अर्थ के सब दास दानाब बन रहे है
वाक् छल से मनुजता को छल रहे है।
मैं सहज इंसान होना चाहता हूँ।
मैं सही अनमोल जीवन चाहता हूँ। ।
मैं तुम्हारे प्यार का भूखा अकिंचन
चाहता हूँ मीन-सा एक मुक्त जीवन
मैं तुम्हारा हो संकुं, वरदान एकल चाहता हूँ।
प्यार की नगरी बसाना चाहता हूँ।
No comments:
Post a Comment