है अमा की रात तो
दीपक जलाते बढ़ चलो।
राह में है ठोकरे तो
खुद हटाते तुम चलो। १।
कब, कान्हा, फिर जिंदगी में
क्या पता कब बात होगी।
सामने जब हो अभी तो
बात खुल करते चलो। २॥
कोई संबल नहीं देगा
स्वयं संबल बन चलो। ।
साधनों की रिक्तता
संकल्प से भरते चलो। । ३। ।
योग्य जन जीता यंहा पर
स्वयं ही कुछ कर चलो।
शक्ति की पूजा यंहा पर
शक्ति अर्जन कर चलो। । ४ । ।
साधना ही जिंदगी है
साधना करते चलो।
अवगुणों का पंथ तममय
ज्योति के पथ पर चलो। । ५। ।
लक्ष्य अपना साधकर तुम
लक्ष्य पथ पर बढ़ चलो।
है अमा की रात तो
दीपक जलाते बढ़ चलो। ६ । ।
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