JEEWAN SANGEET

Tuesday, June 15, 2010

AAJ TUM HO KAHI

आज तुम हो कंही और मैं हूँ कंही .

बात के सब बदल गए है अंदाज अब
कोई बीते ख्वाबों में रहता है कब ?
रात रोटी रही दिन विहँसता रहा
चाँद-तारे वंही, मन खिसकता रहा
मन की बातें सभी मन में घुलती रही
आज तुम हो कंही, और मैं हूँ कंही . .
तब तुम थे औ तेरे सभी नाज़ थे
तेरी फितरत में लिपटे सभी राज थे
रूप के जाल में तेरे कितने फंसे
कैसे-कैसे अनोखे फ़िदा लोग थे
सारे मौसम बदल गए घटा वह नहीं
आज तुम हो कंही और मैं हूँ कंही .
बीती घड़ियाँ कभी लौट आती नहीं
याद में साड़ी बातें समाती नहीं
मिलाने वाले भी सपनो में आते नहीं
जो मिले वे गए, अब कहानी रही .

आज तुम हो कंही और मैं हूँ कंही.

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