बहुत दिनों के बाद आज
आया हूँ, अपने गाँव में .
स्वच्छ हवा से हर्षित है मन
हूँ बरगद की छाओं में ..
नहीं उमस से मन घबराता
सहज हरापन मन को भाता
काले बादल उमड़-घुमड़कर
मुझे रिझाते छाओं में . .
सतरंगा सुन्दर पनसोखा
दिखलाता है दृश्य अनोखा
कदवा किये हुए खेतों में
रोपनी होती गाँव में .
बहुत दिनों के बाद आज
आया हूँ अपने गाँव में . .
फर्दो तट का दृश्य सुहाना
तैर-तैर कर नित्य नहाना
तोड़ मकई के बाल खेत से
ओरहा खाना गाँव में .
बहुत दिनों के बाद आज
आया हूँ अपने गाँव में . .
खेल कबड्डी, चिक्का, कुश्ती
आपस की वह धींगा मुश्ती
सुखद चांदनी, झिन्झरी जल में
याद आ रही गाँव में
बहुत दिनों के बाद आज
आया हूँ अपने गाँव में
NICE
ReplyDeletesir main bhi apne gawan ja raha hun...kisi ki char line yaad aa rahi hai...aye shahar ki bheed mujhe maaf karna..main apne gawan ja raha hun..
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